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Table of Contents
१ पहिला पर्व ।
आरंभ में ईश्वर ने आकाश और एथिवी को सिरजा ॥ २ ॥ और पृथिवी बेडौल और हनी थी और गहिराव पर अंधियारा था और ईश्वर का आत्मा जल के ऊपर डोलता था ॥ और ईश्वर ने कहा कि उंजियाला होवे और उंजियाला हो ४। और ईश्वर ने उंजियाले को देखा कि अच्छा है और ईश्वर ने उंजियाले को अंधियारे से विभाग किया। ५।
और ईश्वर ने उंजि ने याले को दिन और अंधियारे को रात कहा और सांझ और बिहान पहिला दिन हुआ ॥ ६। और ईश्वर ने कहा कि पानियों के मध्य में आकाश होवे और पानियों को पानियों से विभाग करे ॥ ७।
तब ईश्वर ने आकाश को बनाया और आकाश के नीचे के पानियों को आकाश के ऊपर के पानियों से बिभाग किया और ऐसा हो गया ॥ ८।
और ईश्वर ने आकाश को खर्ग कहा और सांझ और बिहान दूसरा दिन हुआ ॥ ८। और ईश्वर ने कहा कि वर्ग के तले के पानी एकही || स्थान में एकडे होवें और सूखी दिखाई देवे और ऐसा हो गया ॥ १० ।
और ईश्वर ने सूखी को भूमि कहा और एकट्ठे किये गये पानियों को समुद्र कहा और ईश्वर ने देखा कि अच्छा है। ११ । और ईश्वर ने कहा कि भूमि घास को और साग पात को जिन में बीज होवें और
२ दूसरा पर्व ।
ये वर्ग और एथिवी और उन की मारी सेना बन गई ॥ २ । और ईश्वर ने अपने कार्य को जो वह करता था सातवें दिन समाप्त किया और उस ने सातवें दिन में अपने सारे कार्य से जो उस ने किया था विश्राम किया ॥ ३।
और ईश्वर ने सातवें दिन को आशीष दिई और उसे पवित्र ठहराया इस कारण कि उसी में उस ने अपने सारे कार्य से जो ईश्वर ने उत्पन्न किया और बनाया विश्राम किया । और पृथिवी की उत्पत्ति है जब वे उत्पन्न हुये जिस दिन परमेश्वर ४ ।
यह वर्ग ईश्वर ने स्वर्ग और पृथिवी को बनाया ॥ ५ । और खेत का कोई साग पात अबल पृथिवी पर न था और खेत की कोई हरियाली अब लो न उगी थी क्योंकि परमेश्वर ईश्वर ने एथिवी पर में ह न बर्स।
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लेखक | – |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 804 |
PDF साइज़ | 52.6 MB |
Category | धार्मिक(Religious) |